एनालिसिस
साहूकारों और बैंकों की दुरभिसन्धि तो नहीं
पॉच रुपया प्रतिदिन कमाने वालों का यदि औसत निकाला जाये तो वर्ष भर में उसे अधिकतम रुपये पन्द्रह सौ ही मिल पाते हैं। वह भी तब, जब वह वर्ष में 300 दिन काम पा जाये। भारत में हालात ये हैं कि मजदूरों को 100 दिन का काम मिलना भी मुश्किल है। तभी तो भारत सरकार ने 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने की रोजगार गारन्टी स्कीम चलाई हुई है।
इससे आसानी से समझा जा सकता है कि इस देश में 100 दिन का रोजगार पाना भी कितनी टेढ़ी खीर है। निम्न आय वर्ग का उम्र के लिहाज से यदि वर्गीकरण किया जाये तो 25 से 35 वर्ष के बीच के लगभग 8 करोड़ कामगार हैं। 36 से 45 वर्ष के बीच 7 करोड़ एवं 45 वर्ष से ऊपर की यह संख्या 5 करोड़ की है तथा 25 वर्ष से नीचे भी यह 5 करोड़ हैं।
सर्वेक्षण से यह निकल कर आया है कि निम्न आय वर्ग के 38 प्रतिशत लोग तभी कर्ज लेते हैं जब उन्हें आर्थिक विपदा घेर लेती है। वह जिन्दगी और मौत के बीच खड़े होते हैं। 26 प्रतिशत निम्न आय वर्ग के लोग बीमारी आदि के लिए कर्ज लेते हैं। तथा 14 प्रतिशत लोग खेती के लिए कर्ज लेते हैं।.…………….जारी
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