पंचतंत्र
कान भरने की कला-कहानी की कहानी पंचतन्त्र-7
जो लायक निकलते हैं वे गद्दी हथियाने की कला में नालायक लड़कों का सामना नहीं कर पाते। इसलिए उन्हें या तो जान से हाथ धोना पड़ता है या फकीरी लेनी पड़ती है। इसलिए राजकुमारों के मामले में लायक होना एक अयोग्यता है।
और नालायक होना सबसे बड़ी योग्यता मानी जाती है। राज्य का उत्तराधिकारी बनने का सपना देखने वाला राजकुमार अपने को अधिक से अधिक नालायक बनाने की कोशिश करता है। और उसे भावी राजा मान कर सिखाने पढ़ाने वाले उसे नालायक बनाने में अधिक से अधिक सहायता करते हैं।
उनके नालायक होने का एक कारण और था। दुनिया जानती है, अधिक पानी देने से जमीन ऊसर हो जाती है, अधिक खाद देने से पौधा गहगहा कर रह जाता है। और अधिक लाड़ प्यार से लोगों के बच्चे उनके देखते-देखते बिगड़ जाते हैं।
राजकुमारों और राजकुमारियों को लाड़-प्यार में इस हद तक डुबो कर रखा जाता है, कि उनमें से बहुत सारे तो सडऩे की हद तक बिगड़ जाते हैं। राजाओं को राजकाज से इतनी भी फुर्सत नहीं होती कि वे अपने सगे और गैर लड़कों की शक्ल तक में फर्क कर सकें।
ऐसे में उनके चाल-चलन को देखने वाला कौन? और उन्हें रोकने-बरजने का किसी दूसरे को क्या हक! फिर इन निकम्मे लड़को में से किसी भी तरीके से राजा बन जाने पर, वे ही कवि, उनके भीतर से ऐसे-ऐसे गुण तलाश करके रख ही देते हैं।
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