जन संसदसत्ता पक्ष

कृषि विधेयक एक क्रान्तिकारी फैसला-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश में कृषि सुधार के दो महत्वपूर्ण विधेयकों-‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020’ तथा ‘कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020’ का स्वागत किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह विधेयक कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने वाले सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के संकल्पों का प्रतिबिंब देखा जा सकता है। इन विधेयकों को कृषि क्षेत्र में नए युग का आरम्भ करने वाला बताते हुए उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसान बहनों-भाइयों के हितों का संरक्षण सुनिश्चित करेंगे।

मुख्यमंत्री ने इस प्रयास को लोक कल्याणकारी बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रति आभार ज्ञापित किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दोनों विधेयक पूर्ण रूप से कृषि और कृषकों के हित में है। यह किसानों की आय में कई गुना वृद्धि करने वाली सिद्ध होंगे। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ऐतिहासिक एवं अभिनव कदम भी बताया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब किसानों को कानूनी बंधनों से आजादी मिलेगी, कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आएगा, खेती-किसानी में निजी निवेश होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 कृषि उपज के कुशल, पारदर्शी और बाधारहित अंतर-राज्य और राज्य के भीतर व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देगा। इससे किसानों को बिक्री और खरीद हेतु पसंद की स्वतंत्रता प्राप्त होगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किसानों की आय को दोगुनी करने के संकल्प के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह विधेयक किसानों के हित में हैं। प्रधानमंत्री ने ही फसलश्र के समर्थन मूल्य में अभूतपूर्व और ऐतिहासिक वृद्धि करते हुए त्वरित व पारदर्शी प्रक्रिया से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाया।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान केंद्र व राज्य सरकार किसान हितों के संरक्षण के लिए कृतसंकल्पित हंै। किसानों को उनकी उपज की पूरी कीमत प्राप्त होगी। वहीं, इन विधेयकों के विरोध में कतिपय राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही टिप्पणियों को मुख्यमंत्री जी ने भ्रमित करने का कुत्सित प्रयास बताया है। उन्होंने किसान बहनों-भाइयों से अपील की है कि वह किसी के बहकावे में न आएं। कुछ लोगों को कृषकों की उन्नति रास नहीं आती। यह वही लोग हैं जिन्होंने बीते छः-सात दशकों तक किसानों को महज वोट बैंक समझा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों के कल्याण और उनकी आय को दोगुना करने के लिए कृतसंकल्पित है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए वर्तमान सरकार प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में लगातार प्रयास कर रही है। कृषि और किसान कल्याण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक नीतिगत कदम उठाए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि कोविड महामारी के दृष्टिगत लागू लाॅकडाउन के दौरान ही राज्य सरकार द्वारा फल व सब्जी में 45 जिंसों को मण्डी शुल्क से मुक्त कर दिया गया, जिसका किसानों को सीधा लाभ मिला। कृषक अब अपने फल या सब्जी की राज्य में कहीं से भी बिक्री करने के लिए स्वतंत्र हैं।

किसानों को मण्डियों में भी अपनी उपज का विक्रय करने का विकल्प उपलब्ध हैं जहां मण्डी शुल्क के स्थान पर मात्र 01 प्रतिशत यूजर चार्ज क्रय करने वाले व्यापारियों से लिया जा रहा है।
राज्य सरकार के निर्देशानुसार प्रदेश की सभी 119 गन्ना मिलों को पूरी क्षमता से संचालित कर प्रदेश में उत्पादित 1118 लाख टन गन्ने की पेराई करा 126.36 लाख मी0ट0 चीनी का उत्पादन किया गया। साथ ही, 150 लाख लीटर सेनेटाइजर का भी उत्पादन किया गया।

मण्डी परिषद तथा स्टेट वेयर हाउसिंग कारपोरेशन द्वारा संयुक्त रूप से 37 मण्डी परिसरों में 5-5 हजार मीट्रिक टन के गोदामों का निर्माण कराया जा रहा है। इन गोदामों में कृषक अपनी उपज 30 दिनों तक बिना किसी शुल्क के रख सकेेंगे, इसके पश्चात् सामान्य दरों पर 30 प्रतिशत छूट पर किराया अनुमन्य होगा। इस सुविधा से किसान अपनी उपज को सुरक्षित रखते हुए ऐसे समय बिक्री कर सकेंगे, जब उन्हें अपनी उपज का बाजार में अच्छा दाम मिले।

ऐसी व्यवस्था की गई है कि किसानों द्वारा भण्डारित कृषि उपज को प्रतिभूति की भांति मान्यता प्राप्त होगी और इसके आधार पर कृषकों को बैंक से ऋण सुविधा प्राप्त हो सकेगी। इससे यह अपने कृषि एवं अन्य कार्यों की प्रतिपूर्ति कर सकेंगे।

राज्य सरकार ने जनपद वाराणसी व अमरोहा में मैंगो हाउस स्थापित करने का निर्णय लिया है जिससे आम उत्पादन पर मूल्य संवर्धन करते हुए हुए देश सहित विदेशी बाजार में विक्रय का बेहतर अवसर प्राप्त हो सके।

प्रदेश सरकार द्वारा विगत विधानमण्डल सत्र में पारित विधेयक के माध्यम से कृषि मण्डी अधिनियम में संशोधन कराया गया। इसमें किसान उपभोक्ता बाजार तथा वेयर हाउस/कोल्ड स्टोरेज/साइलोस को मण्डी उप स्थलों के रूप में प्रोत्साहित करने के प्राविधान किये गए हैं। इन प्राविधानों से किसानों को अपनी उपज की सीधी बिक्री हेतु और विकल्प उपलब्ध होंगे।

27 प्रमुख मण्डियों को वर्तमान में आधुनिक किसान मण्डी के रूप में विकसित किया जा रहा है। 24 मण्डियों में फल और सब्जी आदि को सुरक्षित व गुणवत्तापूर्वक रखने हेतु कोल्ड स्टोरेज व राइपनिंग चैम्बर की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है ताकि कृषक अपनी उपज का सही मूल्य मिलने के लिए 1-2 दिवस की प्रतीक्षा भी कर सकें तथा राइपनिंग चैम्बर द्वारा उपज को उचित प्रकार व गुणवत्तायुक्त ढंग से पका सकें।

इस परियोजना के अन्तर्गत मण्डी में 20 एम0टी0 कैपेसिटी के राइपनिंग चैम्बर तथा 10 एम0टी0 क्षमता का कोल्ड चैम्बर स्थापित किया जायेगा। प्रत्येक पर लगभग रूपये 3 करोड़ रुपए की लागत आयेगी। इस परियोजना को वित्तीय वर्ष 2020-21 में पूर्ण किया जाना लक्षित है।

केन्द्र सरकार की नीतियों और सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार कृषक उत्पादक संगठनों (एफ0पी0ओ0) को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यापक नीति शीघ्र लेकर आ रही है। इस नीति के अन्तर्गत प्रदेश में क्रियाशील व भविष्य में गठित होने वाले एफ0पी0ओ0 को कन्वर्जन्स के माध्यम से केन्द्र व राज्य की विभिन्न कल्याणकारी नीतियों का लाभ दिया जा सकेगा। एफ0पी0ओ0 की समस्याओं का निराकरण करने के लिए कृषि विभाग के अधीन डेडीकेटेड सेल गठित कर वरिष्ठ अधिकारियों व विशेषज्ञों के दल को तैनात किया जायेगा।

एफ0पी0ओ0 की क्रियाशील पूंजी की समस्या के निराकरण के लिए उन्हें ब्याज की छूट पर क्रियाशील पूंजी उपलब्ध कराई जायेगी तथा इस छूट का व्यय भार राज्य सरकार वहन करेगी। एफ0पी0ओ0 के गठन से कृषि विपणन का उपलब्ध लाभ सीधे कृषकों को मिलेगा। इससे वे कृषि कार्य की लागत कम करते हुए उत्पादकता व गुणवत्ता में सुधार लाकर अपनी उपज का अधिक मूल्य प्राप्त कर सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा किये गये सुधारों का व्यापक तथा सकारात्मक लाभ मिलेगा। किसानों को अपनी उपज को मण्डी परिसरों में विक्रय करने में बाध्यता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। अब वे प्रदेश के अधिसूचित मण्डी के अतिरिक्त किसी और स्थान जैसे भण्डार गृह, कोल्ड स्टोरेज या खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में अपनी उपज विक्रय कर सकेंगे। फार्म गेट पर ही व्यापारियों/निर्यातकों या खाद्य प्रसस्करण इकाइयों को उचित दाम लेकर विक्रय कर सकेंगे। इससे किसानों का यातायात एवं ढुलान पर व्यय बचेगा और हानि को बचाया जा सकेगा।

काॅन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा मिलने से खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां/निर्यातक तथा अन्य व्यापारी, कृषकों से व्यक्तिगत स्तर पर या संगठित तरीके से समझौता कर सकंेगे। इससेे कृषकों को खाद, बीज व अन्य इनपुट्स को कम दरों पर उपलब्ध कराने, आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर कृषि कार्य कराने एवं उनकी उपज को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने में सुविधा होगी। कृषकों को राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय बाजार की मांग के अनुसार कृषि कार्य करने के अवसर भी प्राप्त होंगे।

प्रदेश में बाहर से आने वाले कृषि उत्पाद पर मण्डी शुल्क समाप्त होने पर जहां एक ओर उपभोक्ताओं का भी लाभ मिलेगा, वहीं खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को भी निर्बाध रूप से कच्चा माल प्राप्त हो सकेगा। इससे ईज आफ डूईंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार किसानों की उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य हेतु कटिबद्ध है। कोविड काल में भी प्रदेश के किसानों का 35.77 लाख टन गेहूं क्रय किया गया। साथ ही दलहन व तिलहन फसलों की भी खरीद की गई। यह सुनिश्चित किया गया कि बाजार मूल्य, न्यूनतम समर्थन मूल्य या उससे अधिक रहे। किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए धान, तिलहन व दलहन को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करने की पूरी तैयारी की जा रही है।

राज्‍यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

sbobet