रोज दर्ज हो रहे हैं 33 दलित उत्पीड़न के मामले- अजय कुमार लल्लू
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग ने आज एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए योगी सरकार को दलित-पिछड़ा विरोधी करार देते हुए कटघरे में खड़ा किया। वार्ता में कहा गया कि दलित-पिछड़ा उत्पीड़न करने वालों को संस्थानिक संरक्षण मिला हुआ है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि योगी राज के तीन सालो में प्रदेश दलित-पिछड़ा हिंसा, उत्पीड़न और बलात्कार का हब बन गया है। दलितों, पिछडों पर होने वाले अत्याचार में दिनों दिन इजाफा हो रहा है। योगी मंत्रिमंडल और भाजपा में शामिल दलित-पिछड़े नेताओं, मंत्रियों की हैसियत नहीं है कि वो ऐसे उत्पीड़न के खिलाफ आवाज तक उठा सकें।
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आगे कहा कि सरकारी एजेंसी (NCRB) के डाटा बता रहे है की प्रदेश में रोज 33 मामले दलितों पर अत्याचार के रिपोर्ट हो रहे हैं। संकल्प पत्र में जो दलितों-पिछडों के सुरक्षा के वादे किये गए थे वह खोखले साबित हो रहे हैं।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष अलोक प्रसाद ने कहा कि पिछले दिनों हुयी विभाग की प्रदेश स्तरीय बैठक में प्रदेश में बढ़ती हिंसा, बलात्कार और उत्पीड़न को लेकर एक निंदा प्रस्ताव पास किया है। उन्होंने कहा कि दलितों के उत्पीड़न के कुल दर्ज मामलों (2008) में से आधे से ज्यादा उत्तर प्रदेश से हैं।
अनु0जाति विभाग के अध्यक्ष अलोक प्रसाद ने आगे कहा कि प्रदेश में बढ़ती हिंसा, उत्पीड़न की घटनाओं पर विभाग बड़े पैमाने पर आन्दोलन करके दलितों-पिछडों की आवाज को उठाएगा। वार्ता में उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से जिलों में हुयी उत्पीड़न की घटनाओं का जिक्र करते हुए व्योरा दिया।
अम्बेडकर नगर में दलित युवती के साथ बलात्कार,मेरठ में शादी से दो दिन पहले दलित लड़की और उसके पिता की हत्या, कानपुर में दलित युवक को बुरी तरह मारा गया फिर उसी को जेल भेज दिया गया। अमरोहा में 17 साल के युवक की मंदिर में घुसने भर के लिए हत्या, आजमगढ़ के उबारपुर गांव में भाजपा जिला अध्यक्ष द्वारा दलितों के साथ सांस्थानिक रूप से दमन की बात रखी।
प्रेस वार्ता में कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के उपाध्यक्ष तनुज पुनिया ने कहा कि कोरोना आपदाकाल में बड़े पैमाने पर असंगठित क्षेत्र में लगे दलित-पिछड़े मजदूरों को अपना रोजगार खोना पड़ा है। यह रोजगार ही उनकी प्रमुख आय का श्रोत है। ऐसे में सरकारों को तत्काल दलितों-पिछडों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।
अधिकांश दलित परिवार या तो भूमिहीन हैं या एक दो बिस्सा जमीन के मालिक हैं। ऐसे में आय के न होने से वो भुखमरी के कगार पर हैं। सरकार को जल्द आर्थिक पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।