फ्लैश न्यूजसाइबर संवाद
पावन पेशे की पतित राह
परिक्रमा का पौरुष, निंदा रस का अमृत
पतित पत्रकारिता की सफलता के यही सोपान हैं। यकीन मानिए आपको लिखना-पढ़ना आता है, पत्रकारिता की समझ है तो आप हाशिये पर रहेंगे। पत्रकारिता के धर्म का गिनती के मीडिया हाउस निवर्हन कर रहे हैं। ऐसे संस्थान और संपादक वाकई साधुवाद के हकदार हैं। ज्यादातर न्यूज़ रूम में निंदा रस इस कदर घर कर गया है कि साथियों की आलोचना से आनन्द की अनुभूति होने लगी है।
बॉस का प्रिय बनने के लिए अपने ही साथियों के लिए आलोचना से गुरेज नहीं। दरअसल पेशेगत यह व्याधियां ऐसे वरिष्ठ जनों की परिणति है। जब पेशे की शिनाख्त दलाली से होने लगे तो सिद्धांत गौड़ हो जाते हैं। तमाम संपादक लिखने-पढ़ने के अलावा हर काम में माहिर हैं।
उनकी नजर में प्रशसंक ही पत्रकार है। पदोन्नति और वेतनवृद्धि का पैमाना भी यही है। जो जितना बड़ा प्रशंसक उतनी वेतनवृद्धि, उतनी पदोन्नति। योग्यता तुम दिन को रात कहो तो मैं तारे चमकाउंगा वाली होनी चाहिये।
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