फ्लैश न्यूजसाइबर संवाद
पत्रकारिता का सबक़,
मैंने उनसे कहा कि यह तो सामान्य सी बात है कि जो सार्वजनिक पदों पर होता है, वो जब कभी लोकार्पण करने जाता है तो उस परियोजना को अपने घर से जेब में रख कर नहीं ले जाता। परियोजना सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की होती है और उच्च पदासीन व्यक्ति केवल उस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने जाता है।
मैंने उनसे पूछा कि अटल जी अपने आवास, 7 रेस कोर्स, से हवाई जहाज़ में उड़ कर अगर भोपाल के किसी राष्ट्रीय राजमार्ग का लोकार्पण करने जाते हैं, तो क्या वह राजमार्ग दिल्ली से अपनी जेब में रख कर ले जाते हैं?
ऐसी कोई भी ख़बर लिखने से पहले तथ्यों की पूरी पड़ताल करना और प्रमाण जुटाना ज़रूरी होता है। अन्यथा इसे पत्रकारिता नहीं भांडगिरी कहते हैं।
विनीत नारायण
वृंदावन, दिल्ली
(विनीत नारायण जी देश के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने हवाला काण्ड की परतें उधेड़ी थी और सबसे पहले हिन्दी टीवी शो की शुरूआत करने वाले भी वो ही हैं। सरकार द्वारा नियंत्रित दूरदर्शन पर सबसे पहला खोजी शो “सच की परछाई” के एंकर भी वो ही रहे हैं। हमारी टीम उनका अभिवादन करती है।)
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