ट्रिगर न्यूजफ्लैश न्यूजसाइबर संवाद
अंधभक्ति में हर तरफ हरियाली
यह पोस्ट मनीकान्त शुक्ला जी की फेसबुक वॉल से ली गई है। वो लिखते हैं कि—
सोचकर हैरान हूं। सोच से स्तब्ध। एक रात मजदूरों की पीड़ा पर एक पोस्ट लिखी। अभी पोस्ट डाली ही थी कि उस पर प्रतिक्रिया आने लगी। इस प्रतिक्रिया में कई संवेदना के संदेश थे तो तमाम सहानुभूति। किसी ने सरकार पर ठीकरा फोड़ा था तो तमाम सत्ता के चरित्र से तमतमाए।
अभी मैं प्रतिक्रियाओं पर गौर ही कर रहा था कि तमाम प्रतिक्रिया जख्म पर नमक रगड़ने वाली थीं। एक प्रतिक्रिया तो मेरे बेहद करीबी अग्रज समान वरिष्ठ साथी की थी, तो, दूसरी अभिभावक समक्ष अग्रज की। हैरानी तो यह थी कि दोनों पत्रकारिता से लंबे समय से जुड़े रहे।
कभी उनकी बेबाक लेखनी का कायल था। उनके तटस्थ व्यवहार का मुरीद। पर आज उनकी प्रतिक्रिया से व्यथित था। कारण एक ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा कि मजदूर खुद जबरन निकल रहे हैं। पुलिस की नहीं मान रहे। सरकार ने उनके लिए तमाम इंतज़ाम किए हैं। उनको मुफलिसी दिखाने की आदत है। हमदर्दी की आस। ढांढस का मरहम चाहिए।
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